Saturday, December 16, 2017
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साहित्य सम्मेलन,"साहित्य की बात" 17-18 september 2022 साकिबा साकीबा रचना धर्मिता का जन मंच है -लीलाधर मंडलोई। यह कहा श्री लीलाधर...

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बच्चे ,फूल से कोमल ह्रदय वाले जिनकी मासूमियत भरी मुस्कान दो जहाँ की दौलत लुटा देती है |किसे प्यारे नहीं लगते हँसते - खिलखिलाते बच्चे |यदि ...
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आज हम एक ऐसे विषय पर *दीप्ति कुशवाह* का आलेख पढ़ेगें जिसके बारे में हम अपनी नई पीढ़ी को रत देखते है ,उन्हें टोकते भी है पर शायद उनकी दुनिय...
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एक ज़माना था, जब कवि खुद संपादक होते थे, और ख़ुद ही प्रकाशक होते थे, |तब लेखकों में संपादक का और प्रकाशक का किरदार भी गुंथा होता था, उस ज़...
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पूनम सूद की कविताएं पूनम सूद कविवर अज्ञेय के सांप कविवर अज्ञेय को सादर वंदन आपको करना था सूचित आप के समय के सांप ...
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आज मंच पर प्रस्तुत है अंतोन चेखव की कहानी ' नींद '। कहानी का अनुवाद तरुशिखा सुरजन ने किया है । कृपया सभी पढ़े और सम्बव हो तो अ...
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एक ज्वलंत समस्या ,युवा पीढ़ी के भटकाव को सहजता से शब्दबद्ध करती एक भाव प्रधान कहानी "गुरु दक्षिणा "|समाज में व्याप्त ऐसी समस्याए...
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समालोचन के सोजन्य से कथाकार राकेश दुबे की कहानी "कउने खोतवा में लुकइलू " प्रस्तुत है | इस कहानि को "उसने कहा था...
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