अनुदित कविताएँ
एमिली डिकिन्सन
अनुवादक
कंचन जायसवाल
मैं
मैं कुछ नहीं हूं ! तुम कौन हो?
क्या तुम भी कुछ नहीं हो.
तब हम एक युगल की तरह हैं-मत कहो!
वे हमें निर्वासित कर देंगें-तुम जानते हो।
कुछ होना कितना अकेला कर देता है
एक मेढक की तरह साधारण
सारा जीवन तुम अपना नाम लेते रहो
आत्म मुग्धता के दलदल में धंसे हुए.
एमिली डिकिन्सन
दर्द के रहस्य---
दर्द में खालीपन का एहसास होता है
इसे सहेजा नहीं जा सकता
जब यह शुरू होता है,
या फिर एक ऐसा भी दिन था
जब यह नहीं था।
इसका कोई भविष्य नहीं होता है लेकिन खुद मे
इसकी अनन्त मौजूदगी बची रहती है
इसका अतीत, दर्द के नये युगों को
जानने की समझ बनाती है.
एमिली डिकिन्सन
मृत्यु में आनंद
यदि अंतिम घंटा बजता है मैं कारण पूछती हूं।
एक आत्मा ईश्वर के पास जा चुकी है;
मुझे उदास स्वर में जवाब मिलता है;
क्या स्वर्ग, यह दुखद है।
ऐसी घंटियों के पास कहने का खुशनुमा तरीका होना चाहिए
एक आत्मा जो स्वर्ग जा चुकी थी
मेरी समझ से सही तरीका होगा
एक खुशखबरी जैसी दी जानी चाहिए.
एमिली डिकिन्सन
निकासी---
मेरी नदियां नीले सागर की ओर
दौड़ती हैं, क्या वे मेरा स्वागत करेंगी?
मेरी नदियां जवाब का इंतजार करती हैं
ओ समन्दर, सुख से देखते हुए!
मैं तुम्हारी जलधाराएं लाऊंगी
चिन्हित कोनो से
बोलो सागर, तुम लोगे मुझे?
एमिली डिकिन्सन
सादगी
नन्हा पत्थर कितना खुश है
जो सड़क पर अकेला लुढ़कता रहता है
और तरक्की के बारे में नहीं सोचता है
और मजबूरियों से कभी नहीं डरता है
जिस मौलिक भूरेपन की परत
गुजरते ब्रम्हांड ने पहन रखी है।
और इतना आजाद जैसे कि
सूरज मिले चाहे अकेला खिले
निरपेक्ष आदेशों को पूरा करते हुए
इत्तफाकन सादगी मे ं।
एमिली डिकिन्सन
एमिली डिकिन्सन
अनुवादक
कंचन जायसवाल
कंचन जायसवाल |
मैं
मैं कुछ नहीं हूं ! तुम कौन हो?
क्या तुम भी कुछ नहीं हो.
तब हम एक युगल की तरह हैं-मत कहो!
वे हमें निर्वासित कर देंगें-तुम जानते हो।
कुछ होना कितना अकेला कर देता है
एक मेढक की तरह साधारण
सारा जीवन तुम अपना नाम लेते रहो
आत्म मुग्धता के दलदल में धंसे हुए.
एमिली डिकिन्सन
दर्द के रहस्य---
दर्द में खालीपन का एहसास होता है
इसे सहेजा नहीं जा सकता
जब यह शुरू होता है,
या फिर एक ऐसा भी दिन था
जब यह नहीं था।
इसका कोई भविष्य नहीं होता है लेकिन खुद मे
इसकी अनन्त मौजूदगी बची रहती है
इसका अतीत, दर्द के नये युगों को
जानने की समझ बनाती है.
एमिली डिकिन्सन
मृत्यु में आनंद
यदि अंतिम घंटा बजता है मैं कारण पूछती हूं।
एक आत्मा ईश्वर के पास जा चुकी है;
मुझे उदास स्वर में जवाब मिलता है;
क्या स्वर्ग, यह दुखद है।
ऐसी घंटियों के पास कहने का खुशनुमा तरीका होना चाहिए
एक आत्मा जो स्वर्ग जा चुकी थी
मेरी समझ से सही तरीका होगा
एक खुशखबरी जैसी दी जानी चाहिए.
एमिली डिकिन्सन
निकासी---
मेरी नदियां नीले सागर की ओर
दौड़ती हैं, क्या वे मेरा स्वागत करेंगी?
मेरी नदियां जवाब का इंतजार करती हैं
ओ समन्दर, सुख से देखते हुए!
मैं तुम्हारी जलधाराएं लाऊंगी
चिन्हित कोनो से
बोलो सागर, तुम लोगे मुझे?
एमिली डिकिन्सन
सादगी
नन्हा पत्थर कितना खुश है
जो सड़क पर अकेला लुढ़कता रहता है
और तरक्की के बारे में नहीं सोचता है
और मजबूरियों से कभी नहीं डरता है
जिस मौलिक भूरेपन की परत
गुजरते ब्रम्हांड ने पहन रखी है।
और इतना आजाद जैसे कि
सूरज मिले चाहे अकेला खिले
निरपेक्ष आदेशों को पूरा करते हुए
इत्तफाकन सादगी मे ं।
एमिली डिकिन्सन
एमिली डिकिन्सन |
परिचय
कंचन लता जायसवाल
प्रधानाध्यापक प्राइमरी शिक्षा मे.
विभिन्न पत्रिकाओं में कविता एंव कहानियां प्रकाशित. यथा,- कथाक्रम, रेवान्त,स्वतंत्रता पत्रिका ।
राजनीति शास्त्र में ph.d.
भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महिलाओं की भूमिका विषय पर.
अवसाद और अकेलेपन की कविताएँ हमारे जीवन दर्शन को उद्घाटित करती है. डिकिन्सन की छोटी कविताएँ खासतौर पर मानीखेज हैं और वे स्त्री की समाज में मौजूदगी को नए अर्थों में देखती-परखती है. उन्हें पढ़ते हुए हम समृद्ध होते हैं.
ReplyDeleteसहमत आपसे मनीष जी , धन्यवाद आपका
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