पूनम सूद की कविताएं
पूनम सूद |
कविवर अज्ञेय के सांप
कविवर अज्ञेय को सादर वंदन
आपको करना था सूचित
आप के समय के सांप
अब सभ्य हो चुके हैं
उन्हें नगर में बसना आ गया है
शहरी रहन सहन का तरीका भा गया है
इच्छा धारी बन घूम रहे हैं वे सरेआम
सभा, सोसायटी, बाजार, पार्टी में
उन्होंने डसने का नया तरीका अपना लिया
वो फुंफकारते नहीं अब
न ही फन फैलाते हैं
सालों का एकत्रित विष मुस्कुराते हुए
प्रेम जज्बातों भरे दिल के प्यालों मे
सलीके से उगल
भीड़ में खो जाते हैं.
पेन्सिल
जिन्दगी भाग्य के पन्नों पर मुझे घिसती रही
वक्त कटर बन अपनी धार से छीलता रहा
नाप पट्टी मेरी सीमा रेखाये बांधती रही
रबर मेरे किए को मिटाता रहा
समाज में लेखनी रुप में पूज्य थी मैं
घर-पेन्सिल बाक्स के सदस्यों द्वारा शोषित
पेन्सिल हूँ या भारतीय स्त्री
सोचती हूँ अक्सर..
टिशू नैपकिन
कैन्टीन मे काफी पीते हुए
वहां टेबुल पर रखे
टिशू नैपकिन पर तुम
अपने बालपेन से
अक्सर मेरा स्केच बनाया करती थी
तब मैं तुम्हारी कोख में पड़ा
तुम्हारी बेतरतीब ड्राइंग देखकर
खूब हंसता था.।
मेरे जन्म पर मुझे अपने
स्केच जैसा असामान्य पा कर
तुम हो गई निराश
और टिशू नैपकिन की तरह
वहीं छोड़ गई
मुझे ऐबस्ट्रेक्ट पीस आफ आर्ट समझकर,
घर तो ले जाती..
शायद...
कभी तुम्हें समझ में आ जाता मैं...
चविइंग गम
मां
तुमने यह कौन से संस्कारों का चविइंग गम
मेरे मुंह में डाला था
जब मैं होश संभाल रही थी.....?
शुरू में मीठा
फिर फीका
अब है बेस्वाद..
आदतन करती हूं जुगाली
थक चुकी हूं
मुंह चला के..बेवजह मुस्कुरा के
व्यवहार निभा के
पर यह चुइंगम गम जहाँ रखो वहीं चिपक जाता
नहीं गले के नीचे उतर पाता
चाहती हूं थूकना
तुम्हारा ये दुनियादारी का चुइंगम गम
कूड़े के ढेर में..
या गुब्बारा बना कर फोड़ देना चाहतीं हूं...फट्ट...
दिखावटी समाज के मुंह पर..
पर न जाने कौन से आउट डेटिड
संस्कारों का चविंगम गम है यह
पुराना,लिसलिसा,चिपका हुआ
न फूलता है न फूटता
न ही थूका जाता है
मां.. संस्कारों का चविइंग गम.
पूनम सूद
परिचय:
पूनम सूद का जन्म16मार्च1965को कानपुर में हुआ।पूनम की पहली कविता अंग्रेजी के अखबार द पायनियर मे प्रकाशित हुई. आपने मराठी लेखक डॉक्टर भगवान महाजन की पुस्तक मित्र जिवाचे का अंग्रेजी में अनुवाद सोलमेट्स के नाम से किया है. आप फैजाबाद शहर की गुलजार साहित्य समिति की संस्थापक सदस्य रही हैं.